संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) ने हाल ही में उत्तर कोरिया द्वारा सैन्य जासूसी सैटेलाइट प्रक्षेपित करने के असफल प्रयास पर तत्काल बैठक बुलाई थी।
लेकिन इस बैठक का नतीजा वैसा नहीं निकला जैसा कि यूएनएससी को उम्मीद थी।
इसके सदस्य देश इस मुद्दे पर बंटे दिखे। अमेरिका और उसके सहयोगी देश जापान व दक्षिण कोरिया किम जोंग उन की कार्रवाई को लेकर चीन और रूस के साथ भिड़ गए।
अमेरिका और उसके सहयोगियों ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों की अवहेलना करते हुए सैटेलाइट ले जाने वाले रॉकेट को प्रक्षेपित करने के प्रयास के लिए उत्तर कोरिया की आलोचना की, जबकि रूस और चीन ने उत्तर कोरिया की कार्रवाई का बचाव किया।
डेमोक्रेटिक पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ कोरिया (डीपीकेआर) को परमाणु बम बनाने से रोकने के लिए भी बैठक बुलाई गई थी।
इस दौरान सुरक्षा परिषद को वक्ताओं ने चेतावनी देते हुए कहा कि उत्तर कोरिया द्वारा 27 मई को नई टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करते हुए एक और टोही सैटेलाइट का अघोषित प्रक्षेपण कर रहा है।
उन्होंने कहा कि यह 15 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र निकाय के प्रस्तावों का उल्लंघन है और “कोरियाई प्रायद्वीप में शांति और परमाणु निरस्त्रीकरण के लिए गंभीर खतरा” है।
उत्तर कोरिया ने 27 मई को कहा था कि सैटेलाइट ले जाने वाले नए रॉकेट को लॉन्च करने का उसका प्रयास हवा में विस्फोट के कारण विफल हो गया।
नवंबर 2023 में पहले किया गया प्रक्षेपण सफल रहा था और पिछले साल दिसंबर में प्योंगयांग ने घोषणा की थी कि वह इस साल तीन और सैन्य सैटेलाइट लॉन्च करने की योजना बना रहा है।
15 देशों के संगठन को जानकारी देते हुए मध्य पूर्व और एशिया और प्रशांत क्षेत्र के सहायक महासचिव खालिद खैरी ने कहा कि उत्तर कोरिया ने संबंधित अंतरराष्ट्रीय अधिकारियों को सुरक्षा अधिसूचनाएं जारी नहीं कीं, जो अंतरराष्ट्रीय नागरिक उड्डयन और समुद्री यातायात के लिए एक गंभीर जोखिम है।
उन्होंने कहा कि भले ही हाल ही में किया गया प्रक्षेपण विफल रहा, लेकिन उत्तर कोरिया ने 2022 से अपनी मिसाइल प्रक्षेपण गतिविधियों में उल्लेखनीय वृद्धि की है, जिसमें बैलिस्टिक मिसाइल टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके 100 से अधिक प्रक्षेपण किए गए हैं। यह प्रासंगिक सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों का उल्लंघन है।
अमेरिका ने जताई चिंता
अमेरिकी प्रतिनिधि ने कहा कि उत्तर कोरिया अपने गैरकानूनी हथियार कार्यक्रम को खतरनाक दर से आगे बढ़ा रहा है, जबकि चीन और रूसी उसको डिफेंड कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि ये दोनों देश उत्तर कोरिया को उसकी मनमानी करने देते हैं और सुरक्षा परिषद को इसके खिलाफ बोलने से रोकते हैं।
अमेरिकी दूत ने मॉस्को और बीजिंग और अन्य प्रभावशाली परिषद सदस्यों से भी सहयोग करने का आह्वान किया, जिनके पास वीटो पावर है।
जापान के प्रतिनिधि ने खेद व्यक्त करते हुए कहा कि “सुरक्षा परिषद को विशेषज्ञों के पैनल को चुप कराने के लिए मजबूर होना पड़ा।” ऐसा उसी स्थायी सदस्य द्वारा वीटो के कारण हुआ जो यूक्रेन में उत्तर कोरिया से खरीदे गए हथियारों का इस्तेमाल कर रहा है। उनका इशारा रूस की तरफ था।
ईयू ने उत्तर कोरिया पर उसके मिसाइल कार्यक्रम और रूस को समर्थन देने के लिए नए प्रतिबंध लगाए
यूरोपीय संघ (ईयू) ने बैलिस्टिक और परमाणु मिसाइलों के विकास के निरंतर प्रयासों तथा रूस को समर्थन देने के कारण उत्तर कोरिया पर और अधिक प्रतिबंध लगा दिए हैं।
ईयू परिषद ने शुक्रवार को कहा कि यात्रा और संपत्ति संबंधी इन पाबंदियों से नौ और लोग तथा संस्थान प्रभावित होंगे।
यूरोपीय देशों के इस संगठन ने उत्तर कोरिया के परमाणु और मिसाइल परीक्षणों को लेकर संयुक्त राष्ट्र की पाबंदियों की तर्ज पर 2006 में इस पर पाबंदियां लगाना शुरू किया था।
ईयू परिषद ने अब तक कुल 77 लोगों और 20 कंपनियों या संस्थानों पर पाबंदी लगाई है। ईयू ने बताया कि परिषद ने आज छह और लोगों तथा तीन निकायों पर प्रतिबंध लगा दिया। इसने कहा कि उत्तर कोरिया ने इस साल कम से कम 22 मिसाइल का प्रक्षेपण किया है।
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