पाकिस्तान में लंबे समय से बलूच, पश्तून आंदोलन चलते रहे हैं। एक तरफ बलूचिस्तान के लोग अपनी अलग पहचान मानते हैं तो वहीं पश्तूनों का कहना है कि पाकिस्तान की उम्र 75 साल है, इस्लाम की उम्र 1400 साल है।
लेकिन पश्तूनों की पहचान कम से कम 5000 साल पुरानी है। यही वजह है कि पाकिस्तान और अफगानिस्तान को जोड़ने वाले चमन बॉर्डर पर बीते 6 महीनों से हजारों पश्तून डेरा डाले हुए हैं।
इन लोगों ने टेंट सिटी ही यहां बना ली है। दिन भऱ यहीं खाते-पीते हैं और आंदोलन जारी रहता है।
दरअसल इन लोगों का गुस्सा पाकिस्तान सरकार पर इसलिए फूटा है क्योंकि उसने अफगानिस्तान के लोगों की बिना वीजा एंट्री पर रोक लगा दी है।
इसके अलावा पाकिस्तान से भी लोग बिना पुख्ता दस्तावेज के नहीं जा सकते। यही नहीं पाकिस्तान ने अफगानिस्तान से आए करीब 17 लाख लोगों को अवैध करार दिया है। अब इन लोगों के सामने वापस अफगानिस्तान भेजे जाने का खतरा पैदा हो गया है।
इससे पहले ऐसा नहीं था और चमन क्रॉसिंग से चमन के रहने वाले पाकिस्तानी बिना वीजा के अफगानिस्तान के स्पिन बोल्डाक एरिया में जा सकते थे।
इसी तरह स्पिन बोल्डाक के रहने वाले लोग पाकिस्तान के चमन में आ सकते थे। दोनों क्षेत्रों की एक ही संस्कृति है और उनके बीच लंबे समय से कारोबार भी चलता रहा है।
पाकिस्तान की सरकार ने इस बॉर्डर को 1 नवंबर से बंद कर रखा है और अब आंदोलन को चलते हुए पूरे 6 महीने बीत चुके हैं। अब तक पाकिस्तान सरकार से इस मसले पर कोई बात नहीं हो पाई है, लेकिन आंदोलनकारी पीछे हटने को तैयार नहीं हैं।
एक आंदोलनकारी ने डॉन न्यूज से बातचीत करते हुए कहा कि कंधार से लेकर क्वेटा तक 100 वर्ग किलोमीटर का इलाका एक ही है।
यहां के लोग आसानी से आवाजाही करते रहे हैं। लेकिन अब पासपोर्ट लगाया जाता है। ऐसी परेशानी तो मेक्सिको वालों को भी नहीं होती।
एक अन्य आंदोलनकारी ने कहा कि यहां हम रहते हैं तो बहन की शादी उधर करते हैं। हमारा एक ही कल्चर है और कारोबार के भी रिश्ते हैं।
पंजाबिस्तान में न्याय नहीं मिलेगा, सोशल मीडिया पर भी जबरदस्त बहस
यही नहीं पाकिस्तान के सोशल मीडिया में भी इसे लेकर जबरदस्त प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। आंदोलन को लेकर कई लोगों ने कहा कि यह पाकिस्तान नहीं बल्कि पंजाबिस्तान है।
इसीलिए हमें ऐसी समस्याएं झेलनी पड़ रही हैं। कई लोगों ने तो पाकिस्तान से खुद के अलग हो जाने की भी दुआएं मांगी हैं।
वहीं इस वीजा सिस्टम का सपोर्ट करने वाले लोगों का कहना है कि यदि रिश्तेदारी का ही तर्क दिया जाए तो मुहाजिरों की रिश्तेदारियां भारत में हैं। क्या उन्हें भी वीजा फ्री आने-जाने की सुविधा दे दी जाए।