नई दिल्ली । क्या दिल्ली विधानसभा चुनावों के लिए किसी को मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में पेश किया जाना चाहिए? बीजेपी इस सवाल पर घोर असमंजस में फंसी है। उसे इस उहापोह से निकलने का अब तक कोई रास्ता नहीं मिल पाया है। इसलिए पार्टी में लगातार मंथन चल रहा है कि क्या दिल्ली में कोई सीएम फेस उतारा जाए या नहीं? आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक और पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल बहुत दमदार कंटेंडर हैं और उनके सामने किरण बेदी जैसी दिग्गज हस्ती भी मात खा चुकी हैं। ऐसे में बीजेपी फूंक-फूंक कर कदम आगे बढ़ा रही है। दिल्ली विधानसभा के चुनाव अगले वर्ष के शुरुआती महीनों में ही होने हैं। बीजेपी ने इस बार को लोकसभा चुनावों में दिल्ली के सात में से छह सांसदों के टिकट काट दिए थे। इनमें प्रवेश वर्मा और रमेश बिधूड़ी को पार्टी की तरफ से कह दिया गया है कि वो अब दिल्ली विधानसभा चुनाव की तैयारियां करें। दरअसल, बीजेपी चाहती है कि दिल्ली विधानसभा चुनावों में केंद्रीय नेतृत्व पीछे रहे और लोकल लीडरशिप को ही स्टीयरिंग थमाई जाए। हरियाणा में बीजेपी की यह रणनीति ने शानदार नतीजे दिए हैं। वहां भी चुनावों में बीजेपी की तरफ से राष्ट्रीय नेतृत्व पृष्ठभूमि में ही रहा जबकि स्थानीय नेताओं ने ही कमान संभाली थी। बीजेपी सूत्रों के हवाले से खबर दी है कि पार्टी में अलग-अलग संभावनाओं पर मंथन चल रहा है। एक सूत्र ने बताया, हर संभावना पर बात हो रही है, खासकर हरियाणा विधानसभा चुनावों में जीत के मद्देनजर जहां यह सुनिश्चित किया गया था कि स्थानीय नेतृत्व ही अग्रिम मोर्चे पर रहे जबकि राष्ट्रीय नेतृत्व कहीं ना कहीं पृष्ठभूमि में दिखे। बीजेपी सूत्र के मुताबिक, पार्टी के एक मन पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति इरानी को दिल्ली का सीएम फेस बनाया जाए, लेकिन एक वर्ग को लगता है कि इसकी जरूरत नहीं है।
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