तेल अवीव। 15 सितंबर को अब्राहम समझौते के चार साल पूरे हो गए हैं। चार साल पहले, बहरीन और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के विदेश मंत्रियों ने इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। तत्कालीन राष्ट्रपति ट्रंप ने समझौते को इतिहास की दिशा बदलने और एक नए मध्य पूर्व की सुबह के रूप में पेश किया था। इस समझौते के साथ बहरीन और यूएई ने इजरायल के साथ अपने रिश्तों को सामान्य किया, और बाद में मोरक्को भी इस समझौते में शामिल हुआ। हालांकि, समझौते के चार साल पूरे होने के बाद, इजरायल गाजा में हमास के साथ एक गंभीर संघर्ष में उलझा हुआ है। ईरान और उसके प्रॉक्सी भी इजरायल के खिलाफ लगातार हमलावर बने हुए हैं। इस संघर्ष ने अब्राहम समझौते पर दबाव डाला है, लेकिन फिर भी वर्तमान में बहरीन, यूएई, और मोरक्को के साथ इजरायल के रिश्ते बरकरार हैं।
मध्य पूर्व के जानकार बताते है कि गाजा संघर्ष ने इन देशों के साथ इजरायल के रिश्तों पर तनाव पैदा किया है, लेकिन इसके बावजूद एक उम्मीद की किरण दिखाती है। रिपोर्ट के अनुसार, इजरायल के वरिष्ठ अधिकारियों ने युद्ध के दौरान केवल राष्ट्रपति इसाक हेर्जोग और वित्त मंत्री नील बरकत ने ही अरब देशों की यात्रा की है, जो द्विपक्षीय यात्रा नहीं थी।
यूएई के सलाहकार अनवर गरगश ने हाल ही में इस स्थिति पर टिप्पणी करते हुए कहा कि यूएई ने एक रणनीतिक फैसला लिया है और यह दीर्घकालिक है। उन्होंने कहा कि रणनीतिक फैसलों के मार्ग में बहुत सारी बाधाएं आती हैं, और हम इस समय गाजा युद्ध जैसी एक बड़ी बाधा का सामना कर रहे हैं, लेकिन हम इस पार करने वाले है। इसके बावजूद, अब्राहम समझौते के प्रभावी रहने की उम्मीद बनी हुई है। सभी पक्ष शांति और सहयोग को प्राथमिकता दे रहे हैं, और इस संघर्ष के बावजूद मध्य पूर्व में स्थिरता की दिशा में काम जारी है।
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