लखनऊ। लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद उत्तर प्रदेश में सियासी घमासान बढ़ा है। यहां सत्ता और संगठन के बीच शुरु हुई तनातनी फिलहाल थमती दिखाई नहीं दे रही है। राज्य के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मोर्या ने संगठन को बड़ा बताकर सीधे तौर पर सरकार को चुनौती दे दी है। इस बीच कई नेताओं ने भाजपा के शीर्षस्थ नेताओं से मुलाकात कर अपनी बात रखने की खबरें भी आई। लेकिन समाधान पूरी तरह नहीं हो पाया है। अब 27 जुलाई को
नीति आयोग गवर्निंग काउंसिल की बैठक नई दिल्ली में होने जा रही है। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी,भाजपा प्रमुख जेपी नड्डा सहित कई बड़े नेता शामिल होंगे। यहां उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी जाएंगे और सभी से मुलाकात करेंगे। चर्चा है कि यहां उप्र की सियासी समस्या का समाधान निकल आएगा।
लोकसभा चुनावों में खराब प्रदर्शन के बाद यूपी भाजपा के भीतर चल रहे कलह की पृष्ठभूमि में ये प्रस्तावित बैठकें महत्वपूर्ण हैं, जो 14 जुलाई को लखनऊ में हुई राज्य कार्यकारिणी की बैठक के बाद और भी गंभीर हो गई है। सूत्रों ने कहा कि योगी से सरकार के साथ-साथ पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच असंतोष को दूर करने के लिए उठाए जाने वाले कदमों के बारे में चर्चा करने की उम्मीद है। दिल्ली में सीएम की निर्धारित बैठक 29 जुलाई से शुरू होने वाले यूपी विधानसभा के मॉनसून सत्र से ठीक पहले हो रही है। सूत्रों ने कहा कि मुख्यमंत्री से विपक्ष, मुख्य रूप से समाजवादी पार्टी का मुकाबला करने के लिए अपनाई जाने वाली रणनीतियों पर विचार-विमर्श करने की उम्मीद है, जिसने लोकसभा चुनाव में अपने उल्लेखनीय प्रदर्शन के बाद अपनी पूरी आक्रामकता वापस पा ली है। सीएम योगी ने कार्यकर्ताओं के असंतोष को दूर करने के लिए जमीनी स्तर पर काम करने के निर्देश दिए हैं। शीर्ष सूत्र का दावा है कि भाजपा के जमीनी कार्यकर्ताओं की चिंताओं को दूर करने के लिए प्रभारी मंत्रियों की टीम को टास्क दिए गए हैं। यह इस टीम के एजेंडे में सबसे ऊपर होगा, जिसका नेतृत्व खुद सीएम करेंगे। राज्य सरकार और पार्टी संगठन ने पार्टी कार्यकर्ताओं और जनप्रतिनिधियों, मुख्य रूप से पार्टी विधायकों और सांसदों का मनोबल बढ़ाने के लिए कदम उठाने का फैसला किया है। सूत्रों ने कहा कि योगी सरकार ने विधायकों को सरकार और पार्टी के खिलाफ बोलने की संभावना को रोकने के लिए चिंतित विधायकों को शांत करने का फैसला किया है।
राजनीतिक हलकों में सरकार बनाम संगठन की बहस तब चर्चा में आई जब डिप्टी सीएम केशव मौर्य ने राज्य कार्यकारिणी को संबोधित करते हुए कहा कि संगठन सरकार से बड़ा है। इसे सीएम योगी पर निशाना साधते हुए देखा गया। सीएम योगी ने बाद में उसी बैठक में कहा कि अति आत्मविश्वास यूपी में पार्टी के खराब प्रदर्शन का कारण था। यूपी बीजेपी के भीतर कलह की चर्चा राष्ट्रीय स्तर पर तब गूंजी, जब इस बैठक के ठीक तीन दिन बाद केशव प्रसाद मौर्य और बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मिलने दिल्ली पहुंचे। भूपेंद्र चौधरी ने पीएम मोदी से भी मुलाकात की और कथित तौर पर राज्य इकाई की रिपोर्ट सौंपी, जिसमें कुछ कार्यकर्ताओं की निष्क्रियता, कुछ जिलों में सांसदों और विधायकों के बीच समन्वय की कमी और कई निर्वाचन क्षेत्रों में उम्मीदवारों के अनुचित चयन को बीजेपी के खराब लोकसभा चुनाव का कारण बताया गया।घटनाक्रम से बेपरवाह सीएम योगी ने प्रभारी मंत्रियों की बैठक की, जिन्हें 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव की तैयारियों को तेज करने का काम सौंपा गया है। सीएम ने कथित तौर पर उनसे जमीनी काम पर ध्यान केंद्रित करने और लोकसभा चुनावों में पार्टी के खराब प्रदर्शन से सबक लेने के लिए कहा, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वह सभी 10 सीटों पर जीत हासिल करे।
उप्र में सत्ता और संगठन के बीच जारी घमासान का समाधान 27 को होगा?
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