नई दिल्ली । किस हाल में रही होंगी ये नाबालिग लड़कियां। अंदाजा इस बात से ही लग जाएगा कि कुछ लड़कियों को कमरे से ही बाहर निकालने में 5 घंटे से अधिक वक्त लग गया। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग, दिल्ली पुलिस और बचपन बचाओ आंदोलन के साथ मिलकर चलाए गए ऑपरेशन में 21 नाबालिगों को बचाया गया। जिन जगहों पर इन नाबालिगों को रखा गया था वहां अंदर से दवाइयां, प्रेग्नेंसी किट, लड़कियों के दस्तावेज और 10 लाख रुपये भी मिले, जिन्हें पुलिस ने आगे की जांच के लिए जब्त कर लिया है। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अनुसार दिल्ली के एलजी ऑफिस से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की गई थी। ताकि जिला अधिकारियों को आगे बढ़ने और उत्तर-पश्चिमी दिल्ली के शकूरपुर में एक घर में बंद पाई गई पांच लड़कियों को बचाने के लिए दरवाजा खोलने का निर्देश दिया जा सके। बचाव अभियान का नेतृत्व करने वाले एनसीपीसीआर के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने कहा कि आयोग बीबीए की शिकायत पर कार्रवाई कर रहा था, जिसमें उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला था कि प्लेसमेंट एजेंसियों की आड़ में काम करने वाले तस्करों के माध्यम से झारखंड और बिहार जैसे राज्यों से नाबालिगों को घरेलू काम के लिए लाया गया था। एक्स पर पोस्ट में कानूनगो ने बताया कि 10 जगहों पर बचाव अभियान चलाया गया और शकूरपुर में एक जगह पर जहां वह खुद मौजूद थे और पांच लड़कियों को बचाने में करीब पांच घंटे लग गए क्योंकि कोई भी दरवाजा नहीं खोल रहा था। कानूनगो ने अपने पोस्ट में कहा, दिल्ली पुलिस और जिला मजिस्ट्रेट ने आखिरकार एलजी के कार्यालय से तत्काल हस्तक्षेप के आदेश के बाद दरवाजा काटा। हमें पांच लड़कियां मिलीं जिन्हें बचाया गया। उन्होंने वीडियो भी शेयर किए।
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