सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता ने बुधवार को कहा कि जो लोग जजों के कामकाजी घंटों की आलोचना करते हैं, उन्हें पहले सरकारी अधिकारियों द्वारा मामले में की जाने वाली देरी को दूर करने के बारे में समुचित कदम उठाने चाहिए।
जस्टिस दत्ता ने केंद्र सरकार के एक बड़े अधिकारी द्वारा अपने लेख में जज की छुट्टियों और कामकाजी घंटों की आलोचना को दुर्भाग्यपूर्ण बताया।
जस्टिस दत्ता ने यह टिप्पणी, झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अंतरिम जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान की। अवकाशकालीन पीठ की अगुवाई कर रहे जस्टिस दत्ता के साथ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा भी शामिल थे।
जस्टिस दत्ता ने कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि जज के रूप में हमारे द्वारा किए गए प्रयासों के बावजूद, हमें यह सुनना पड़ता है कि जज बहुत कम घंटे काम करते हैं।
उन्होंने कहा कि हम यहां अवकाश के दिनों में भी क्या कर रहे हैं। जो लोग ये बात कहते हैं और यदि वह शासन का हिस्सा हैं, तो हम उम्मीद करेंगे कि वह हमें बताएं कि केंद्र या किसी अन्य राज्य सरकार द्वारा मामले में समय पर अपील दाखिल की गई हो। उन्होंने कहा कि हर मामले में अपील दाखिल करने में होने वाली देरी माफ की जाती है।
‘अधिकारी समय पर नहीं आते और कहते हैं कि काम करते हैं’
जस्टिस दत्ता ने कड़ी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि जो लोग न्यायपालिका की आलोचना करते हैं, उन्हें इन चीजों का जायजा लेना चाहिए, अधिकारी समय पर नहीं आते हैं और वे कहते हैं कि हम कम काम करते हैं? जस्टिस शर्मा ने भी छुट्टियों को लेकर उस लेख का जिक्र किया, जो पिछले सप्ताह प्रकाशित हुआ था।
दुनिया की एकमात्र अदालत है जो इतना काम करती
कोर्ट में मौजूद भारत सरकार के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि यह दुनिया की एकमात्र अदालत है जो इतना काम करती है।
सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के नवनिर्वाचित अध्यक्ष व वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि यह दुनिया की सबसे ज्यादा काम करने वाली अदालतों में से एक है।
अतिरिक्त सॉलिसिटर जरनल (एएसजी) एसवी राजू ने भी कहा कि अदालतें छुट्टियों की हकदार हैं क्योंकि वे वास्तव में दो पालियों में काम करती हैं।
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