खरमास सोमवार से शुरु हुआ है। सनातन धर्म में खरमास का विशेष महत्व है। इस अवधि में कोई भी शुभ कार्य नहीं होते हैं। इस दौरान सूर्य 30 दिनों तक धनु राशि में रहेंगे। खरमास साल में दो बार आता है। इस दौरान विवाह, सगाई, मुंडन, गृह प्रवेश जैसे शुभ-मांगलिक कार्य वर्जित होते हैं। ज्योतिष के अनुसार, खरमास तब लगता है जब सूर्य देव धनु या मीन राशि में प्रवेश करते हैं।
ज्योतिष के अनुसार, भगवान सूर्य जब देवगुरु बृहस्पति के घर में आते हैं तो वो अपना तेज कम कर देते हैं। इसके साथ ही इस अवधि में बृहस्पति ग्रह की शुभता कम हो जाती है। इसलिए सूर्य देव के तेज कम होने और देवगुरु बृहस्पति की शुभता का प्रभाव कम होने के वजह से खरमास में विवाह, सगाई, मुंडन, गृह प्रवेश जैसे शुभ मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं।
एक तरफ खरमास में मांगलिक कार्य वर्जित होते हैं, तो दूसरी तरफ खरमास सूर्य और विष्णु की पूजा करना काफी शुभ और फल देने वाला होता है। इस दौरान दान-पुण्य करना बेहद शुभ माना जाता है। खरमास का महीना दान-पुण्य के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दौरान आप धार्मिक कार्य कर सकते हैं। धार्मिक कार्यों के लिए ये महीना बेहद शुभ होता है। इस दौरान आप धार्मिक ग्रंथों का पाठ और पवित्र नदी में स्नान कर सकते हैं।
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