नई दिल्ली । दिल्ली की राजनीति फिर से चर्चाओं में आ गई है। खासकर तब जब कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के पुत्र संदीप दीक्षित को नई दिल्ली विधानसभा सीट से उतारा है। 2013 और 2015 में अरविंद केजरीवाल ने शीला दीक्षित को हराया था, जिससे यह चुनाव दीक्षित के लिए अपनी मां की हार का बदला लेने का एक खास मौका बन गया है।
संदीप दीक्षित ने लंबे समय से केजरीवाल पर राजनीतिक हमलों का सिलसिला जारी रखा है। इसलिए हाई प्रोफाइल मुकाबले में वे फिर से केजरीवाल के खिलाफ जमकर राजनैतिक हल्ला करने वाले है। बीजेपी ने अभी अपने उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है, लेकिन चर्चा है कि पश्चिमी दिल्ली के पूर्व सांसद प्रवेश साहिब सिंह वर्मा चुनावी मैदान में हो सकते हैं। अगर ऐसा होता है, तब यह मुकाबला दो पूर्व मुख्यमंत्रियों के बेटों और केजरीवाल के बीच होगा।
कांग्रेस पार्टी ने आगामी चुनावों के लिए अपनी पहली सूची में 21 उम्मीदवारों के नाम शामिल हैं। इस सूची में पार्टी ने अनुभव और युवा जोश का संतुलित मिश्रण प्रस्तुत किया है, जबकि परिवारवाद की भी झलक दिखाई देती है। अनुभवी उम्मीदवारों में पूर्वी दिल्ली से पूर्व सांसद दीक्षित का नाम प्रमुख है, जो अपनी सशक्त राजनीतिक पृष्ठभूमि से आते हैं। बदली से पूर्व विधायक और मौजूदा दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष देवेंद्र यादव को भी मैदान में उतारा गया है। इन निर्णयों से कांग्रेस ने अपने सशक्त नेतृत्व को मैदान में उतारने का संकेत दिया है।
पटपड़गंज से कांग्रेस के पूर्व दिल्ली अध्यक्ष चौधरी अनिल कुमार को आम आदमी पार्टी के अवध ओझा के खिलाफ उम्मीदवार बनाया गया है। वहीं, सुल्तानपुर माजरा से कई बार विधायक रह चुके जय किशन को पुनः मौका मिला है। कांग्रेस की प्रवक्ता रागिनी नायक वजीरपुर से और पूर्व मंत्री हारून यूसुफ बल्लीमारान से उतारा गया। साथ ही, सदर बाजार से अनिल भारद्वाज भी चुनाव मैदान में है।
कांग्रेस ने इस बार दिल्ली चुनाव में युवाओं को भी मौका दिया है। युवाओं में कस्तूरबा नगर से अभिषेक दत्त, नांगलोई जट से एनएसयूआई के पूर्व अध्यक्ष रोहित चौधरी, और मुस्तफाबाद से अली मेहंदी को टिकट मिला है, जो कांग्रेस की नई पीढ़ी के चेहरों का प्रतिनिधित्व करते हैं। वहीं परिवारवाद के हिसाब से चांदनी चौक से पूर्व सांसद जेपी अग्रवाल के बेटे मुदित अग्रवाल और आदर्श नगर से पूर्व मंत्री मंगतराम सिंघल के पोते शिवांक को टिकट दिया गया है, जो इस राजनीति के परिवारिक प्रभाव को दिखाता है।
केजरीवाल के खिलाफ संदीप दीक्षित…………क्या मां शीला दीक्षित की हार का लेंगे बदला
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