लखनऊ। उत्तर प्रदेश में कानून का राज है. सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ यह दावा करते हैं. वही दूसरी तरफ मलिहाबाद के तहसीलदार के नाम से प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को एक फर्जी नोटिस जारी कर दिया गया. जमीन की वसीयत से जुड़ा यह नोटिस लखनऊ के हजरतगंज स्थित जीपीओ से भेजा गया. राजभवन पहुंचे इस नोटिस पर राज्यपाल ने नाराजगी जताते हुए कार्रवाई का निर्देश दिया तो शुक्रवार को सूबे की नौकरशाही में हड़कंप मच गया. अब इस मामले की जांच का निर्देश दिया गया है. मलिहाबाद के एसडीएम सौरभ सिंह का कहना है कि राजभवन पहुंचा नोटिस फर्जी है. इसे तहसीलदार ने जारी नहीं किया. फर्जी नोटिस जारी करने वाले का पता लगाने का प्रयास किया जा रहा है.
एसडीएम ने शुरू की जांच
सौरभ सिंह के अनुसार, अब तक ही जांच से यह पता चला है कि मलिहाबाद में मीरा पाल बनाम ग्राम सभा का वरासत का मुकदमा तहसीलदार के न्यायालय में विचाराधीन है. इस मामले में किसी शरारती व्यक्ति ने 11 नवंबर को राज्यपाल को पार्टी बनाते हुए राजभवन को नोटिस भेज दिया. जो पूरी तरह से फर्जी है. किसी शरारती व्यक्ति ने सामान्य नोटिस बनाकर न्यायालय की मोहर लगाकर और तहसीलदार के पेशकार के फर्जी हस्ताक्षर कर उसे 11 नवंबर को लखनऊ से राजभवन के लिए स्पीड पोस्ट से भेजा. जब यह नोटिस राज्यपाल आफिस राजभवन पहुंचा तो राजभवन ने जिलाधिकारी कार्यालय को पत्र लिखकर मामले को स्पष्ट करने को कहा. राजभवन के अधिकारियों का कहना है कि धारा 361 के तहत राज्यपाल को इस तरह नोटिस नहीं दिया जा सकता है.
फिलहाल अब राजभवन पत्र भेजने वाले शरारती व्यक्ति का पता लगाया जा रहा हैं. अब तक की जांच में पता गया है कि राजभवन भेजा गया नोटिस ही फर्जी है. एसडीएम सौरभ सिंह का कहना है कि राज्यपाल को फर्जी नोटिस हजरतगंज जीपीओ से डाक के जरिए भेजा गया था. जबकि मलिहाबाद तहसील का कोई पत्र जीपीओ से नहीं भेजा जाता है. यहीं नहीं धारा 34 के तहत वसीयत के संदर्भ में इश्तहार दिया जाता है, नोटिस नहीं भेजा जाता. जबकि इस मामले में फर्जी नोटिस जारी किया गया. सौरभ सिंह के अनुसार, अब मलिहाबाद की मीरा देवी बनाम ग्राम सभा केस से जुड़े प्रकरण की गहनता से जांच की जा रहे है. इस मामले में राजस्व निरीक्षक ने तहसीलदार पोर्टल पर जो कार्रवाई की है, उसे भी जांचा जा रहा है. जल्दी ही फर्जी नोटिस भेजने वाले शरारती को पकड़ लिया जाएगा.