छोटे से अफ्रीकी देश नामीबिया में बड़ा बदलाव हुआ है. नेटुम्बो नंदी-नदैतवाह ने देश की पहली महिला राष्ट्रपति बनने का गौरव हासिल किया है. आज़ादी की लड़ाई में अहम भूमिका निभाने वाली नंदी-नदैतवाह अब नामीबिया की पाँचवीं राष्ट्रपति होंगी.
वे सत्ताधारी SWAPO पार्टी से हैं, जिसने राष्ट्रपति चुनाव में 57% से अधिक वोट हासिल किए, जो जीत के लिए जरूरी 50% से काफी अधिक है. दूसरी ओर, उनके प्रतिद्वंद्वी, पैट्रियट्स फॉर चेंज (IPC) के पांडुलेनी इतुला, 26% वोटों के साथ पीछे रह गए.
नामीबिया को साउथ अफ्रीका के शासन से 1990 में आजादी मिली थी. नामीबिया की स्वतंत्रता के बाद से ही नंदी नैदतवाह सांसद हैं. अभी फिलहाल वो उपराष्ट्रपति हैं. अपने राजनीतिक करियर में उन्होंने कई अहम मंत्रलयों को संभाला है. उनकी पार्टी SWAPO यानी साउथ वेस्ट अफ्रीका पीपुल्स ऑर्गेनाइजेशन उसी समय से सत्तारूढ़ है. नंदी-नदैतवाह के आजादी के आंदोलन में सक्रिय होने की वजह से हिरासत में भी लिया गया.
जिसके बाद कुछ सालों के लिए उन्होंने जाम्बिया और तंजानिया में SWAPO के साथ काम करना जारी रखा. नवंबर में हुए चुनाव SWAPO की सत्ता पर 34 वर्षों की पकड़ की परीक्षा थी क्योंकि IPC को युवा पीढ़ी से ज्यादा समर्थन मिल रहा था. युवाएं आईपीसी पार्टी का समर्थन इसलिए कर रहे थे क्योंकि बेरोजगारी और असमानता को लेकर IPC पार्टी SWAPO के मुकाबले अधिक चिंतित थी.
मतपत्रों की कमी सहित तकनीकी समस्याओं के कारण मतदान 30 नवंबर तक बढ़ा दिया गया था. कुछ मतदाताओं ने 12 घंटे तक इंतजार करने के बाद मतदान के पहले दिन ही हार मान ली. पांडुलेनी इतुला ने नदैतवाह की पार्टी पर चुनावी प्रक्रिया में धांधली का आरोप लगाते हुए चुनावी नतीजों को मनाने से इंकार किया है. द नामीबियन अखबार के मुताबिक, मंगलवार शाम को नामीबिया की राजधानी विंडहोक में अधिकांश विपक्षी दलों ने चुनावी नतीजों का बहिष्कार किया है.
इस चुनाव में बेरोजगारी, असमानता और भ्रष्टाचार प्रमुख मुद्दे बने हुए हैं. हाल के वर्षों में नामीबिया ने तेल, गैस और ग्रीन हाइड्रोजन में निवेश के कारण अपेक्षाकृत मजबूत आर्थिक विकास देखा है. हालांकि, विश्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, आय असमानता के मामले में यह देश दुनिया में दूसरे स्थान पर है. चुनाव में इन मुद्दों को मुखरता से सत्तारूढ़ पार्टी की उम्मीदवार नंडी-नदैतवाह ने उठाया था. उनका कहना था कि हमारे सामने सबसे बड़ी चुनौती बेरोजगारी है. यदि हमें जीत मिलती है, तो हम सबसे पहले रोजगार बढ़ाने पर काम करेंगे.