जगदलपुर : धान छत्तीसगढ़ की प्रमुख फसल है, जिससे अन्नदाता किसान स्वयं के भरण-पोषण सहित अन्य जरूरतों को पूरा करते हैं। किसानों को उनकी मेहनत का सही मूल्य दिलाने के लिए सरकार हर साल न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करती है। जो किसानों को उनकी लागत से अधिक लाभ देने के उद्देश्य से तय किया जाता है। सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान की खरीद ने किसानों को न केवल आर्थिक स्थिरता प्रदान की है, बल्कि उनकी आय में भी सुधार किया है। राज्य सरकार की समर्थन मूल्य पर धान उपार्जन नीति से किसानों को वाजिब दाम के साथ ही उन्नत खेती-किसानी के लिए प्रोत्साहन मिल रहा है। जगदलपुर ब्लॉक के गरावंड खुर्द निवासी किसान महादेव बघेल और तुरेनार निवासी कृषक मनदेव अपनी खरीफ धान को बेचकर जहां खरीफ फसल ऋण को अदा करेंगे। वहीं घर की जरूरी कार्यों के लिए उपयोग करने की बात कही। उक्त दोनों कृषकों ने रबी फसल सीजन में मक्का और साग-सब्जी की खेती कर आय संवृद्धि करने का संकल्प दुहराया। इन दोनों किसानों ने सरकार की धान खरीदी व्यवस्था की सराहना करते हुए शीघ्र भुगतान के लिए राज्य सरकार को धन्यवाद दिया।
ऋण चुकाने में मदद
समर्थन मूल्य पर मिलने वाली राशि से किसान अपने कृषि ऋण को समय पर अदा करते हैं, जिससे उन्हें ब्याज के बोझ से राहत मिलती है। इस बारे में जगदलपुर विकासखण्ड के गरावंड खुर्द निवासी किसान महादेव बघेल बताते हैं कि लगभग तीन एकड़ कृषि भूमि में धान की उन्नत खेती से अच्छी पैदावार मिली है। अभी 56 क्विंटल धान बेचकर खरीफ फसल ऋण को चुकाने के साथ ही घरेलू कार्य के लिए उपयोग करेंगे। वहीं रबी फसल के लिए फिर फसल ऋण लेकर मक्का और साग-सब्जी की पैदावार लेंगे।
बच्चों की शिक्षा पर ध्यान दे रहे मनदेव बघेल
गरावंड कला धान खरीदी केन्द्र में धान विक्रय करने आए तुरेनार के किसान मनदेव बघेल ने कहा कि 54 क्विंटल धान बेच रहे हैं। इस राशि से फसल ऋण अदा करने सहित छोटी बेटी प्रतीक्षा के कोचिंग क्लास का फीस जमा करेंगे और कुछ पैसे घर की जरूरत में खर्च करेंगे। उन्होंने बताया कि नलकूप की मदद से रबी फसल सीजन में मक्का और साग-सब्जी की पैदावार लेंगे, रबी फसल के लिए भी फसल ऋण लिया है।
समर्थन मूल्य पर धान की खरीद ने किसानों को नई आर्थिक ताकत दी है। यह पहल न केवल किसानों की आय में वृद्धि कर रही है बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर बनने की दिशा में भी प्रेरित कर रही है। ज्ञात हो कि बस्तर जिले में कुल 79 धान खरीदी केंद्रों के माध्यम से किसानों के धान का उपार्जन किया जा रहा है।