भोपाल । जल जीवन मिशन के तहत प्रदेश के 1.11 करोड़ घरों में नल से पानी पहुंचाया जाना है। इनमें से 68 लाख से ज्यादा घरों में नल से पानी की सप्लाई शुरू हो गई है। शेष बचे घरों में से 7.5 लाख घर ऐसे हैं जहां पानी पहुंचाना सरकार के लिए चुनौती बनी हुई है। इसके लिए लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी (पीएचई) विभाग ने 1500 करोड़ रुपए का प्रस्ताव वित्त विभाग को भेजा। प्रस्ताव का परीक्षण करने के बाद वित्त विभाग ने इस पर आपत्ति लगा दी। इसके बाद यह मामला मुख्य सचिव अनुराग जैन के पास पहुंचा। उन्होंने पीएचई विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक कर प्रपोजल पर विस्तार से चर्चा की और अधिकारियों को कुछ बिंदु शामिल कर नए सिरे से प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिए।
गौरतलब है कि मप्र में जल जीवन मिशन में 51 हजार से ज्यादा गांव शामिल किए गए हैं। इन गांवों में कुल घरों की संख्या एक करोड़ 11 लाख है। अब तक करीब 68 लाख घरों में नल से पानी की सप्लाई हो रही है। जबकि लगभग 43 लाख घर अभी बचे हुए हैं। प्रदेश में जल जीवन मिशन में छूटे 5 हजार गांवों के 7.5 लाख घरों में पानी सप्लाई के लिए राशि प्राप्त करने लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी (पीएचई) विभाग लगातार मशक्कत कर रहा है। अधिकारियों का कहना है कि सीएस ने छूटे हुए 5 हजार गांवों को जल जीवन मिशन में शामिल किए जाने पर सहमति जताई है। प्रस्ताव में संशोधन कर जल्द ही सीएस के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा। इसके बाद प्रस्ताव को मंजूरी के लिए फिर से वित्त विभाग को भेजा जाएगा। पीएचई के अधिकारियों का कहना है कि जल जीवन मिशन में प्रदेश के एक-एक गांव के प्रत्येक घर तक नल से जल पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है, लेकिन प्रदेश में करीब 5 हजार मजरे-टोलों के 7.50 लाख घर जल जीवन मिशन में शामिल होने से छूट गए।
मिशन लॉन्च होने के बाद मजरे-टोले अस्तित्व में आए
अधिकारियों का कहना है कि वर्ष 2019 में जब जल जीवन मिशन लॉन्च हुआ था, तब ये मजरे-टोले अस्तित्व में नहीं थे या फिर इनमें से कुछ की गिनती नहीं हो पाई थी। विभाग ने इन मजरे-टोलों में नल से पानी सप्लाई किए जाने को लेकर 1500 करोड़ रुपए का प्रस्ताव तैयार कर केंद्र को भेजा था। इसमें केंद्र से 50 प्रतिशत राशि यानी 750 करोड़ रुपए मांगे गए थे, क्योंकि जल जीवन मिशन योजना में केंद्र और राज्य की 50-50 प्रतिशत हिस्सेदारी रहती है। केंद्र सरकार ने जब राशि देने से इनकार कर दिया, तो पीएचई विभाग ने यह प्रस्ताव वित्त विभाग को भेजा। वित्त विभाग की आपत्ति के बाद इस बारे में सीएस अनुराग जैन को अवगत कराया गया। दो दिन पहले उन्होंने पीएचई के अधिकारियों से प्रस्ताव पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कुछ बिंदुओं को शामिल कर प्रस्ताव में संशोधन करने के निर्देश दिए। संशोधित प्रस्ताव जल्द ही सीएस के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा।
43 लाख घरों तक पानी पहुंचाने चल रहा काम
जल जीवन मिशन में प्रदेश के 1.11 करोड़ घरों में नल से पानी पहुंचाया जाना है। इनमें से 68 लाख से ज्यादा घरों में नल से पानी की सप्लाई शुरू हो गई है। यह लक्ष्य का करीब 65 प्रतिशत है। शेष करीब 43 लाख घरों तक नल से पानी पहुंचाने के लिए काम चल रहा है। जुलाई, 2022 में बुरहानपुर देश का पहला हर घर जल प्रमाणित जिला बना था। जून, 2023 में निवाड़ी प्रदेश का दूसरा हर घर जल प्रमाणित जिला घोषित हुआ था। यानी इन दोनों जिलों के हर घर में नल से पानी की सप्लाई की जा रही है। इंदौर में भी जल जीवन मिशन का काम पूरा हो गया है। जल्द ही इसे हर घर जल प्रमाणित जिला घोषित किया जाएगा। गौरतलब है कि देश के प्रत्येक गांव के हर घर में नल से पानी की सप्लाई के लिए केंद्र सरकार ने 15 अगस्त, 2019 को जल जीवन मिशन लॉन्च किया था। इसकी डेडलाइन मार्च, 2024 रखी गई थी।