उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन ने बड़े स्तर पर सुसाइड ड्रोन बनाने के आदेश दिए हैं।
हाल ही में किम ड्रोन्स की टेस्टिंग के गवाह बने थे। उत्तर कोरिया की तरफ से पहली बार इन ड्रोन्स को अगस्त में सामने रखा गया था। कहा जा रहा है कि उत्तर कोरिया ने इस टेक्नोलॉजी को रूस से हासिल किया है।
हालांकि, इसे लेकर आधिकारिक तौर पर अब तक कुछ नहीं कहा गया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ये ड्रोन्स जमीन और समुद्र दोनों में मार कर सकते हैं। इनका निर्माण उत्तर कोरिया की अनमैन्ड एरियल टेक्नोलॉजी कॉम्प्लैक्स या UATC ने किया है।
रिपोर्ट्स में कोरिया की न्यूज एजेंसी KCNA के हवाले से बताया गया है, ‘उन्होंने जितना जल्दी हो सके सीरियल प्रोडक्शन सिस्टम बनाने की जरूरत पर जोर दिया है और पूरी क्षमता के साथ निर्माण के लिए कहा है।’
क्या हैं सुसाइड ड्रोन
दरअसल, ये सुसाइड ड्रोन विस्फोटक से लदे होते हैं। इनका मुख्य काम दुश्मनों के ठिकानों पर हमला करना है। खास बात है कि ये गाइडेड मिसाइलों की तरह काम करते हैं।
एजेंसी का कहना है, ‘सुसाइड ड्रोन्स का इस्तेमाल अलग-अलग मारक क्षमता वाले क्षेत्रों में किया जाएगा। इनका मकसद जमीन और समुद्र में मौजूद दुश्मनों के निशाने पर सटीक हमला करना है।’
अगस्त में जब पहली बार इन ड्रोन्स को सामने लाया गया था, तब जानकारों ने इसे उत्तर कोरिया और रूस के मजबूत होते सहयोग की संभावनाओं से जोड़ा था।
संभावनाएं हैं कि उत्तर कोरिया ने इस तकनीक को रूस से हासिल किया है। ऐसा कहा जाता है कि रूस ने इसे ईरान से हासिल किया था और संदेह है कि ईरान ने इसे इजरायल से हैकिंग कर हासिल किया है।
जानकारों का कनहा है कि ये ड्रोन इजरायल के HAROP सुसाइड ड्रोन, रूस के Lancet-3 और इजरायल के ही HERO 30 से मिलते जुलते हैं।
क्या दक्षिण कोरिया है निशाना
खास बात है कि साल 2022 में उत्तर कोरिया ने सीमा के पार ड्रोन्स भेजे थे, जिनपर दक्षिण कोरिया की सेना गोलियां नहीं चला पाई थीं। उनका कहना था कि ये ड्रोन काफी छोटे हैं।
अब बीते साल दक्षिण कोरिया की तरफ से भी ड्रोन ऑपरेशन के निर्देश दिए गए हैं, ताकि खतरों से निपटा जा सके। किम पहले ही दक्षिण कोरिया को उत्तर कोरिया का ‘मुख्य दुश्मन’ बता चुके हैं।
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