नई दिल्ली । दिल्ली में 14 नवंबर को होने वाले मेयर और उप मेयर चुनाव के लिए बहुमत होने के बाद भी तैयारी में आम आदमी पार्टी (आप) कोई कसर नहीं छोड़ रही है। पार्षदों के मुद्दे सुलझाने पर जोर दिया जा रहा है। साथ ही उन पर नजर रखने के लिए भी वरिष्ठ पार्षदों को जिम्मेदारी दी गई है। जो अपने जोन और अपने पड़ोसी जोन के आप पार्षदों की निगरानी कर रहे हैं। हालांकि आप को पूरा भरोसा है कि वह अपने पार्षदों के दम पर एक बार फिर मेयर व उप मेयर चुनाव में जीत दर्ज करेगी। फिर भी कोई कसर या नाराजगी पार्षदों में न हो, इसलिए वह अपनी तैयारी को दुरुस्त रखना चाहती है। आप सूत्रों के मुताबिक बीते दिनों निगम प्रभारी दुर्गेश पाठक और अन्य वरिष्ठ पार्षदों के साथ पार्टी कार्यालय में बैठक हुई थी। बैठक में मेयर व उप मेयर चुनाव को लेकर रणनीति पर चर्चा हुई। इसमें इस बात पर भी जोर दिया गया कि जिस प्रकार स्थायी समिति के चुनाव से पहले आप के कुछ पार्षदों ने भाजपा का दामन थाम लिया था तो फिर ऐसा न हो। क्योंकि विधानसभा चुनाव से पहले आप के लिए मेयर व उप मेयर चुनाव महत्वपूर्ण है। अगर, इसमें कुछ ऊंच-नीच हुई तो जनता में गलत संदेश जा सकता है। इसलिए पार्टी चुनाव से पहले मतदान से पहले पार्षदों का प्रशिक्षण भी मतदान करने को लेकर देगी। ताकि कोई भी वोट गलत न हो। वहीं, मेयर व उप मेयर चुनाव में प्रत्याशी उतारने के बाद भी भाजपा ने चुनाव को लेकर अभी पत्ते नहीं खोले हैं, लेकिन प्रत्याशी होना ही आप के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है। क्योंकि अभी तक चुनाव के लिए पीठासीन अधिकारी की जिम्मेदारी भी भाजपा पार्षदों को मिली है। 14 नवंबर को होने वाले मेयर चुनाव के लिए पीठासीन अधिकारी कौन होगा अभी यह तय नहीं हुआ है। निगम प्रक्रिया के तहत उपराज्यपाल को फाइल भेजेगा। इसके बाद पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति चुनाव की तारीख से पहले हो जाएगी। नेता विपक्ष राजा इकबाल सिंह का कहना है कि वह पार्षदों से चर्चा करेंगे और फिर ही कुछ कह पाएंगे। अभी हमारे प्रत्याशी हैं और प्रत्याशी चुनाव लड़ने के लिए होते हैं। उल्लेखनीय है कि मेयर व उप मेयर चुनाव में निर्वाचित पार्षदों के साथ ही निगम में मनोनीत 14 विधायकों के साथ ही सात लोकसभा और तीन राज्यसभा सदस्यों को मतदान का अधिकार होता है। केवल एल्डरमैन को सदन में मेयर व उप मेयर के चुनाव में मतदान का अधिकार नहीं होता है।
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