भोपाल। प्रदेश के किस जिले में क्या-क्या है इसकी पूरी जानकारी एक क्लिक पर मिल जाएगी। इसके लिए मुख्य सचिव अनुराग जैन ने प्रदेश के सभी 55 जिलों की प्रोफाइल तैयार करने के निर्देश दिए हैं। प्रोफाइल में एक जिला, एक उत्पाद की जानकारी, औद्योगिक क्षेत्र, उपलब्ध भूमि, संचालित औद्योगिक इकाइयां और निवेश की संभावनाओं का विवरण शामिल होगा। साथ ही पर्यटन, खनन, कृषि सहित निवेश की संभावनाओं के क्षेत्रों की जिलेवार जानकारी भी उपलब्ध होगी।
जानकारी के अनुसार प्रदेश में बढ़ते औद्योगिक निवेश की संभावनाओं को देखते हुए ऐसा किया जा रहा है। यह प्रोफाइल निवेशकों को एक क्लिक पर आवश्यक जानकारी प्रदान करेगा। मप्र में निवेश करने के इच्छुक जिले की प्रोफाइल में एक क्लिक पर यह तमाम जानकारी प्राप्त कर सकेंगे और अपनी सुविधा के अनुसार इसका उपयोग कर सकेंगे। मुख्य सचिव अनुराग जैन ने एमएसएमई सहित अन्य विभागों को जिलेवार प्रोफाइल तैयार करने के निर्देश दिए हैं। इसके बाद अलग-अलग विभाग आमजन व निवेशकों के उपयोग से संबंधित जानकारी के साथ डिस्ट्रिक्ट प्रोफाइल तैयार करने में जुट गए हैं। रीजनल इंडस्ट्री कान्क्लेव में आए सुझावों के बाद मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के निर्देश पर मुख्य सचिव ने जिलों की प्रोफाइल बनाने के निर्देश दिए हैं। ताकि प्रत्येक जिले संभावनाएं बढ़ाई जा सकें।
प्रदेश के एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) की ब्रांडिंग की जाएगी। इसके लिए अलग से एक सेल गठित की गई है। इसका काम केवल ओडीओपी का प्रचार-प्रसार करना है। स्थानीय उत्पाद को विदेशी बाजार उपलब्ध कराने के भी प्रयास किए जा रहे हैं। इसके लिए कुछ उत्पादों को सैंपल के तौर पर बाहर भेजा जाएगा। विदेशी बाजार में अगर इन उत्पादों में रुचि दिखाई जाती है, तो बड़ी मात्रा में इनका निर्यात किया जाएगा। डीओपी के अलावा जिला निर्यात हब (डीईएच) और रिवर्स बायर सेलर मीट के माध्यम से जीआइ टैग (जियोग्राफिकल इंडिकेशंस) उत्पादों की ब्रांडिंग भी की जाएगी।
स्थानीय उत्पाद को विदेशी बाजार उपलब्ध कराने के भी प्रयास किए जा रहे हैं। इसके लिए कुछ उत्पादों को सैंपल के तौर पर बाहर भेजा जाएगा। विदेशी बाजार में अगर इन उत्पादों में रुचि दिखाई जाती है तो बड़ी मात्रा में इनका निर्यात किया जाएगा। प्रदेश से अधिकांश उत्पादों को जीआई टैग दिलाने भी प्रयास किए जाएंगे। इसमें आदिवासियों की पांरपरिक औषधियों, खाद्यान्न और उनकी कलात्मक वस्तुओं को प्राथमिकता दी जाएगी। जीआई टैग सबसे अधिक दक्षिण भारत के हैं। मध्य प्रदेश सरकार का प्रयास है कि प्रदेश के छोटे से छोटे उत्पाद को जीआई टैग मिले। वर्तमान में मध्य प्रदेश में 21 उत्पादों को जीआइ टैग मिला है।
हालांकि राज्य परिसीमन आयोग की इस कवायद पर अंतिम मुहर केंद्र सरकार की लगेगी। अगर केंद्र एमपी सरकार के इस प्रस्ताव को हरी झंडी देता है तो मध्य प्रदेश को केंद्र सरकार से 29 योजनाओं में मिलने वाली राशि बढ़ जाएगी। एक अनुमान के मुताबिक ये 5 हजार करोड़ से ज्यादा हो सकती है। दूसरी तरफ नए ब्लॉक बनने से विकास कार्यों के लिए विकासखंड पर गांवों की संख्या का दबाव घट जाएगा और ग्रामीण विकास की योजनाओं और कार्य सुचारू रूप से हो सकेंगे। राजस्व मंत्री करण सिंह वर्मा का कहना है कि, च्प्रदेश में कई जिलों की मांग चल रही है। कई तहसीलें या कस्बे किसी दूसरे जिले में शामिल होना चाहते हैं। इनके गठन को लेकर राज्य परिसीमन आयोग तैयारी कर रहा है। हमारी कोशिश ये भी है कि इसके साथ ही प्रदेश के विकासखंड का नए सिरे से गठन हो सके। उस पर भी परिसीमन आयोग काम करे। हालांकि केंद्र सरकार की मंजूरी के बाद ब्लॉक का गठन होगा। लेकिन अब नए सिरे से जिले, तहसील या ब्लॉक का गठन परिसीमन आयोग की सिफारिश के आधार पर होगा।
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