नई दिल्ली । तेजी से आते-जाते वाहनों के बीच से अपने को बचते-बचाते नई दिल्ली गोल डाकखाना (जीपीओ) में कुछ लोग दाखिल होते हैं। इसके अंदर बने अलग-अलग काउंटर में लोगों की कतारें लगी हैं। कोई अपने गांव मनीऑर्डर भेज रहा है, तो कोई चिट्ठी-पत्री स्पीड पोस्ट कर रहा है। वहीं, कुछ बुजुर्ग अपनी खाता पास बुक लेकर उनके प्रिंट होने के इंतजार में बैठे हैं। डाकघर में मरम्मत का कार्य चल रहा है। इस बीच भी डाक सेवा के कर्मचारी अपना काम बिना रुके कर रहे हैं। यह नजारा है 110001 वीआईपी डाकघर का। यह देश का पहला डाकघर है, जहां से पोस्ट ऑफिस पिन कोड की शुरुआत हुई थी। जानकार बताते हैं कि इसलिए इसका पिन कोड 110001 है। राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और केंद्रीय मंत्रियों तक इसी डाकघर से होकर लोगों की फरियाद पहुंचती है। यही नहीं, संसद भवन, सुप्रीम कोर्ट, चुनाव आयोग, कनॉट प्लेस और प्रगति मैदान से लेकर कई अहम मंत्रालय इसके दायरे में आते हैं। खास बात है कि यहां प्रधानमंत्री का पोस्ट बॉक्स भी है, जिससे पीएमओ की चिट्ठी सीधा उन तक पहुंचती है। व्हाट्सएप-ईमेल के युग में भी चिट्ठी-पत्रों का दौर जारी है। इसका अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि यहां से हर दिन 30 हजार चिट्ठियां लोगों के पते तक पहुंचाई जाती हैं। इसमें करीब 15 हजार सामान्य डाक, लगभग 6 हजार रजिस्टर डाक और 9 हजार से अधिक स्पीड पोस्ट होती हैं। चिट्ठियों को बांटने की जिम्मेदारी यहां के 100 पोस्टमैन पर है। इसमें 70 पोस्टमैन सामान्य डाक और 30 पोस्टमैन पार्सल के लिए कार्यरत हैं। ऐसे में इंटरनेट के दौर में भी डाक सेवा ने अपनी उपयोगिता को बरकरार रखा है।
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