नई दिल्ली। न कोई सैनिक, न ही कोई मिसाइल और न ही किसी बाहरी चीज से हमला… हाल में कुछ ऐसा ही हुआ है लेबनान में हिजबुल्लाह के लड़ाकों के साथ की दुनिया के होश उड़ गए है। लेबनान में पेजर में हुए धमाकों के एक दिन बाद देश के कई हिस्सों में इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में विस्फोट की घटनाएं हुईं जिसमें 14 लोगों की मौत हो गई और करीब 450 अन्य घायल हो गए। कभी पेजर, कभी वॉकी-टॉकी में विस्फोट ने लोगों को दंगा कर दिया। ये इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स किसी और के नहीं थे जिसके थे उसी पर हमला। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के दौर में इजरायल ने एक पुरानी तकनीक से ही हिजबुल्लाह को हैरान और परेशान कर दिया। एआई के इस दौर में इजरायल की खुफिया नजरों से बचने के लिए हिजबुल्लाह के सदस्य पेजर का इस्तेमाल कर रहे थे। विस्फोट के इस तरीके और हमले की चर्चा पूरी दुनिया में हो रही है। ये हमले उस ओर भी इशारा करते हैं कि एआई वॉर का नजारा कैसा हो सकता है जब इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स लोगों की जिंदगी का अहम हिस्सा बन चुके हैं।
लेबनान में हुए हमलों का आरोप इजरायल पर है। ये अटैक उस ओर इशारा करते हैं कि एआई के दौर में यह और कितना खतरनाक होगा। डर इतना हैं कि इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स को छूने से भी लेबनान में लोग डर रहे हैं। इनदिनों एआई का दखल हर फील्ड में बढ़ता जा रहा है। जरूरी नहीं कि किसी देश पर हमला करने के लिए आप मिसाइल या तोप का इस्तेमाल करे। मानव इतिहास में युद्ध का एक अंधकारमय अध्याय रहा है। सदियों से मनुष्य ने अधिक शक्तिशाली हथियार बनाने में अपना समय लगाया है। तलवार और धनुष से लेकर तोप और मिसाइल तक, युद्ध के तरीके लगातार विकसित होते रहे हैं। लेकिन अब, एक नई तकनीक ने युद्ध के परिदृश्य को पूरी तरह से बदल कर रख दिया है, वहां तकनीकी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) मशीनों को इंसानों की तरह सोचने और सीखने की क्षमता प्रदान करती है। एआई का उपयोग अब युद्ध में कई तरह से हो रहा है, जैसे कि ड्रोन, साइबर युद्ध, लॉजिस्टिक्स और युद्ध सिमुलेशन। ये हथियार बिना किसी मानवीय हस्तक्षेप के अपने टारगेट को पहचान उन पर हमला कर सकते हैं। एआई से लैस ड्रोन अब युद्ध के मैदान में निगरानी, हमला और तलाशी जैसे कई काम कर सकते हैं।
लेकिन हम आपकों बता रहे हैं कि एआई युद्ध के कुछ फायदे भी हैं और कुछ नुकसान भी है। एआई से लैस हथियार अधिक सटीक माने जा रहे हैं। आम नागरिकों के हताहत होने की संभावना कम होती है। एआई से लैस सिस्टम बहुत तेजी से फैसले ले सकते हैं। लेकिन, इनके गलत हाथों में जाने का खतरा हमेशा बना रहता है। एआई युद्ध के नैतिक पहलुओं के बारे में कई सवाल उठते हैं, जैसे कि एक मशीन को किसी इंसान को मारने का फैसला लेने देना कितना उचित है।
एआई युद्ध के भविष्य को पूरी तरह से बदल सकता है। एआई से लैस रोबोट और ड्रोन युद्ध के मैदान में आम हो सकते हैं। साइबर युद्ध एक प्रमुख युद्ध का मैदान बन सकता है। एआई युद्ध को अधिक मुश्किल और अप्रत्याशित बना सकता है। एआई से युद्ध के तरीके भी बदले हैं। एआई से संचालित ड्रोन और रोबोट अब आम होते जा रहे हैं।
दुनिया के कई देश अपनी सेना को एआई के इस दौर में आने वाले समय के लिए तैयार कर रहे हैं। उनकी ओर से भारी निवेश हो रहा है। भारतीय सेना भी दिशा में आगे बढ़ रही है। भारतीय सेना एआई तकनीकों के विकास पर जोर दे रही है। डीआरडीओ जैसे संगठन एआई आधारित हथियारों और सिस्टम को तैयार कर रही हैं। भारतीय सेना साइबर सुरक्षा को बहुत महत्व दे रही है। साइबर हमलों से निपटने की तैयारी की जा रही है।
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