भोपाल । भ्रष्ट और रिश्वतखोर अधिकारियों के कारण लोक निर्माण विभाग की साख लगातार गिर रही है। आलम यह है कि पूरे विभाग को भ्रष्टाचारियों के गढ़ के रूप में देखा जा रहा है। ऐसे में अब विभाग ने निर्णय लिया है कि दागी इंजीनियरों को न तो फील्ड में पदस्थ किया जाएगा और न ही महत्वपूर्ण प्रभार दिया जाएगा। ऐसे आठ इंजीनियरों का प्रभार समाप्त करने के साथ ही उनको अन्यत्र स्थानांतरित किया जाएगा। जबकि, छह के विरुद्ध पहले ही कार्रवाई की जा चुकी है। विभाग के प्रस्ताव को मंत्री राकेश सिंह ने अनुमति भी दे दी है।
विभागीय अधिकारियों का कहना है कि कार्यपांलन यंत्री संजय डेहरिया के विरुद्ध लोकायुक्त ने कार्रवाई की थी। उन्हें मुख्य अभियंता कार्यालय सागर पदस्थ किया था लेकिन बाद में प्रमुख अभियंता ने नौगांव मंडल के अधीक्षण यंत्री का प्रभार दे दिया। इसी तरह उपयंत्री मनोज रिछारिया को जतारा उपसंभाग में अनुभाग अधिकारी का प्रभार दिया गया। सहायक यंत्री विजय चौहान को जबलपुर परिक्षेत्र के मुख्य अभियंता ने डिंडौरी संभाग में अनुविभागीय अधिकारी, सहायक यंत्री बीके माथुर को प्रभारी कार्यपालन यंत्री अशोक नगर के साथ प्रमुख अभियंता ने गुना के कार्यपालन यंत्री का अतिरिक्त प्रभार दे दिया। इन सभी का प्रभार समाप्त किया जाएगा। वहीं, कार्यपालन यंत्री एससी वर्मा को कोई महत्वपूर्ण कार्य अब नहीं दिया जाएगा। कार्यपालन यंत्री रामदास चौधरी को प्रमुख अभियंता कार्यालय में महत्वपूर्ण कार्य दिया गया है, जिसे वापस लिया जाएगा। वह नौ वर्ष से एक ही स्थान पर पदस्थ भी हैं। इसी तरह, कार्यपालन यंत्री कमल सिंह कौशिक को भी प्रभारी अधीक्षण यंत्री कार्यालय में महत्वपूर्ण कार्य दिए हैं। प्रभारी कार्यपालन यंत्री राजगढ़ धर्मेंद्र जायसवाल और सहायक यंत्री बीके माथुर का स्थानांतरण भी प्रस्तावित है।
गंभीर शिकायतों पर ठोस कार्रवाई नहीं
राज्य सरकार ने पीडब्ल्यूडी के दागी व लोकायुक्त मामलों में फंसे इंजीनियरों, अधिकारियों, कर्मचारियों के खिलाफ कड़ा रूख अख्तियार कर लिया है। पीडब्ल्यूडी के ऐसे 8 इंजीनियरों को तत्कालिक तौर पर प्रमुख पदों पर की गई पदस्थापना व प्रभार को समाप्त करने को कहा है। इनमें से कुछ इंजीनियर ऐसे भी हैं, जिनके खिलाफ गंभीर शिकायतें हैं, किंतु कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो पाई है। विभागीय तौर पर उनका कार्य काफी विवादित रहा है। उनके खिलाफ विभागीय जांच आदि कार्रवाई चल रही है। शासन ने कहा कि ऐसे इंजीनियरों के प्रभार को समाप्त किया जाए। पीडब्ल्यूडी से जारी आदेश के अनुसार कार्यपालन यंत्री रामदास चौधरी को ईएनसी (भवन) कार्यालय से हटाकर ईएनसी कार्यालय में कार्यपालन यंत्री बनाया गया है। इसी तरह कमल सिंह कौशिक को ईएनसी कार्यालय में कार्य पालन यंत्री बनाया गया है। वे अभी तक अधीक्षण यंत्री सेतु के प्रभार में थे। उन्हें डिमोट कर प्रभारी पद से हटा दिया गया। वीके माथुर को अशोक नगर कार्यपालन यंत्री के पद से हटाकर उन्हें सहायक यंत्री मुख्य अभियंता कार्यालय ग्वालियर में पदस्थ किया गया है। धर्मेंद्र जायसवाल को भी राजगढ़ के कार्यपालन यंत्री भवन के पद से हटाकर ईएनसी (भवन) कार्यालय में सहायक यंत्री बनाया गया है। इन चारों इंजीनियरों के खिलाफ गंभीर शिकायतें हैं और प्रमुख पदों पर होने की वजह से लगातार शिकायतें मिल रही थी। राज्य शासन ने सागर मुख्य अभियंता कार्यालय में पदस्थ कार्यपालन यंत्री संजय डेहरिया से अधीक्षण यंत्री नौगांव मंडल का प्रभार तत्काल प्रभाव से समाप्त करने का निर्देश जारी किया गया है। डेहरिया के खिलाफ लोकायुक्त में मामला चल रहा है। इसी तरह एससी वर्मा को भी महत्वपूर्ण कार्य नहीं देने का निर्देश जारी किया गया है। मनोज रिछारिया टीकमगढ़ के जंतारा उप संभाग में एसडीओ के पद पर पदस्थ थे। शासन ने सागर के सीई से तत्काल उन्हें हटाने का निर्देश जारी किया है। विजय चौहान डिंडोरी संभाग में एसडीओ के प्रभार पर पदस्थ थे। उनका भी प्रभार तत्काल समाप्त करने का निर्देश जारी किया गया है।
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