पटना। बिहार में डेंगू के पिछले 24 घंटे में 56 नए मामले सामने आए हैं। इनमें 36 पटना के हैं। इसके अलावा मधुबनी के रहने वाले कृष्ण एक सितंबर को अस्पताल में भर्ती हुए थे। इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। डॉक्टर के अनुसार पहले से ही उनकी तबीयत खराब थी। उन्हे ईसीयू में एडमिट किया था। प्लेटलेट्स के कमी के कारण उनकी मौत हुई।
पटना का कंकड़बाग डेंगू का हॉट स्पॉट बन गया है। यहां एक सप्ताह पहले डेंगू पीड़ित की मौत के बाद भी फॉगिंग नहीं होने से संक्रमण बढ़ गया है। थोड़ी सी चूक या इलाज में लापरवाही मरीज की मौत का कारण बन रही है। अगर किसी को डेंगू हो जाए तो कैसे इलाज कराया जाए। क्या सावधानियां बरतनी हैं। इस पर मीडिया ने डॉक्टर से बातचीत की। साथ ही इस स्पेशल रिपोर्ट में यह भी बताया कि पटना नगर निगम डेंगू से बचाव के लिए क्या कर रही है। कैसे कदम उठाए हैं। पिछले एक हफ्ते में पूरे बिहार में डेंगू के 280 मामले आ चुके हैं। इसमें से 148 मामले पटना के हैं। बिहार में इस सीजन में अब तक 826 केस सामने आए हैं। पटना में पीड़ितों की संख्या 421 हो गई है। नगर निगम की ओर से डेंगू से बचाव एवं रोकथाम के लिए नियमित तौर पर फॉगिंग एवं एंटी लार्वा का छिड़काव किया जा रहा है। पीड़ित मरीजों के घरों के आसपास 500 मीटर के दायरे में विशेष एंटी लार्वा का छिड़काव और फॉगिंग की जा रही है। इस काम के लिए 375 टीम को लगाया है। टीम हर दिन 50 घरों को कवर करती है। नगर आयुक्त के निर्देश पर कंकड़बाग और अजीमाबाद के लिए मुख्यालय स्तर पर एक विशेष टीम बनाई है। सभी पदाधिकारी को निर्देश दिया है कि लापरवाही न बरती जाए।
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