नई दिल्ली । एम्स दिल्ली ने संदिग्ध मंकीपॉक्स के मरीजों के इलाज के लिए प्रोटोकॉल जारी किया है। वैसे तो दिल्ली में मंकीपॉक्स के इलाज के लिए सफदरजंग अस्पताल को सेंटर बनाया गया है। लेकिन एम्स में आने वाले संदिग्ध मरीजों का इलाज कैसे किया जाएगा इस प्रोटोकॉल में यही बताया गया है।
मंकीपॉक्स के मामलों को अलग करने के लिए एम्स के एबी -7 वार्ड में पांच बिस्तर निर्धारित किए गए हैं। ये बिस्तर आपातकालीन विंग के मुख्य चिकित्सा अधिकारी की सिफारिश पर रोगियों को आवंटित किए जाएंगे, जिनका इलाज फिर मेडिसिन विभाग द्वारा किया जाएगा। एबी-7 वार्ड तब तक रोगियों के लिए एक अस्थायी होल्डिंग क्षेत्र बना रहेगा, जब तक कि उन्हें निश्चित देखभाल के लिए निर्धारित अस्पताल- सफदरजंग अस्पताल में स्थानांतरित नहीं कर दिया जाता।
एम्स की तरफ से जारी प्रोटोकॉल नोट के मुताबिक मंकी पॉक्स एक वायरल जूनोसिस है जिसके लक्षण चेचक के रोगियों में पहले देखे गए लक्षणों के समान हैं, हालांकि चिकित्सकीय रूप से यह कम गंभीर है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मंकी पॉक्स के प्रकोप को अंतर्राष्ट्रीय चिंता का विषय बताते हुए सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किया है, जिसके चलते इससे बचाव के लिए जागरूकता बढ़ाने, तेजी से पहचान करने और आगे के प्रसार को रोकने के लिए कड़े संक्रमण नियंत्रण उपायों की आवश्यकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से ‘मंकी पॉक्स’ (एमपॉक्स) बीमारी को पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी घोषित किए जाने के बाद भारत में भी इसे लेकर राज्य सरकारें और अस्पताल अलर्ट मोड पर आ गए हैं। हालांकि फिलहाल भारत में इस बीमारी का कोई भी मामला सामने नहीं आया है, लेकिन पाकिस्तान में इसका एक मरीज मिलने के बाद यहां भी कड़ी सावधानी बरती जा रही है।
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