नई दिल्ली । देश के शेयर बाजार पर नजर रखने वाली संस्था भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) को बकाया वसूलने में बड़ी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। 76,000 करोड़ से भी अधिक की बकाया राशि ऐसी हैं, जिन्हें वसूलना सेबी के लिए चुनौती बन गया है। यह रकम पिछले साल की तुलना में चार फीसदी बढ़ गई है। ये पैसे दरअसल उन निवेशकों के हैं, जिन्होंने पीएसीएल और सहारा इंडिया जैसी कंपनियों में निवेश किया था लेकिन ये कंपनियां लोगों के पैसे लेकर रफू चक्कर हो गईं। अब सेबी को इन पैसों को निवेशकों को वापस दिलाने में कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इसलिए सेबी को कहना पड़ा है कि इन्हें वापस पाना लगभग असंभव सा लग रहा है। एक अंग्रेजी अखबार की रिपोर्ट में कहा गया है कि सेबी को मार्च 2024 तक 76,293 करोड़ रुपये की ऐसी रकम मिली है, जिसे वसूलना बेहद मुश्किल हो रहा है। ये रकम पिछले साल के मुकाबले 4 फीसदी ज्यादा है। इस रकम का बड़ा हिस्सा उन मामलों से जुड़ा है, जिनकी सुनवाई अदालतों में चल रही है। रिपोर्ट में बताया गया है कि ऐसे कुल 807 मामले हैं, जिनमें से 36 मामले राज्य स्तरीय अदालतों, नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) और नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (एनसीएलएटी) में लंबित हैं। इन मामलों में अटकी हुई राशि लगभग 12,199 करोड़ रुपये है। इसके अलावा 60 मामले अदालत द्वारा नियुक्त समितियों के पास हैं, जिनमें करीब 59,970 करोड़ रुपये अटके हुए हैं। साथ ही लगभग 140 मामले ऐसे हैं, जिनमें संबंधित लोगों का पता ही नहीं चल पा रहा है। इनमें से 131 व्यक्तिगत मामले हैं और 9 कंपनियों से जुड़े हैं। सेबी ने कहा कि अब तक कुल 6,781 रिकवरी सर्टिफिकेट जारी किए गए हैं, जिनमें से 3,871 अभी भी लंबित हैं। कुल मिलाकर सेबी को करीब एक लाख करोड़ रुपये वसूल करने हैं। इसमें जुर्माना न भरने वाली कंपनियों के साथ-साथ उन निवेशकों का पैसा भी शामिल है, जिन्हें पैसा वापस मिलना था। पीएसीएल और सहारा इंडिया के मामलों में सबसे ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इन दोनों कंपनियों के विरुद्ध निवेश योजना से जुड़े मामले हैं, जिनमें करीब 63,206 करोड़ रुपये अटके हुए हैं।
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