सनातन धर्म में सप्ताह के सारे दिन किसी न किसी भगवान को समर्पित हैं। जिस तरह से सोमवार का दिन भगवान शिवजी का और मंगलवार का दिन हनुमान जी का है। उसी तरह से बुधवार को भगवान गणेश की पूजा की जाती है और उनके लिए व्रत रखा जाता है। ज्योतिषियों के मुताबिक व्रत रखने से भगवान खुश होते हैं। आज हम आपके लिए लाए हैं बुधवार के व्रत की कथा। व्रत रखने वाले लोगों को इस दिन यह कथा सुननी होती है।
प्राचीन काल की बात है एक व्यक्ति अपनी पत्नी को लेने के लिए ससुराल गया। कुछ दिन अपने ससुराल में रुकने के बाद व्यक्ति ने अपने सास-ससुर से अपनी पत्नी को विदा करने को कहा लेकिन सास-ससुर ने कहा कि आज बुधवार है और इस दिन हम गमन नहीं करते हैं। लेकिन व्यक्ति ने उनकी बात को मानने से साफ इनकार कर दिया। आखिरकार लड़की के माता-पिता को अपने दामाद की बात माननी पड़ी और अपनी बेटी को साथ भेज दिया। रास्ते में जंगल था, जहां उसकी पत्नी को प्यास लग गई। पति ने अपना रथ रोका और जंगल से पानी लाने के लिए चला गया। थोड़ी देर बाद जब वो वापस अपनी पत्नी के पास लौटा तो देखकर हैरान हो गया कि बिल्कुल उसी के जैसा व्यक्ति उसकी पत्नी के पास रथ में बैठा था।
ये देखकर उसे गुस्सा आ गया और कहा कि कौन है तू और मेरी पत्नी के पास क्यों बैठा है। लेकिन दूसरे व्यक्ति को जवाब सुनकर वो हैरान रह गया। व्यक्ति ने कहा कि मैं अपनी पत्नी के पास बैठा हूं। मैं इसे अभी अपने ससुराल से लेकर आया हूं। अब दोनों व्यक्ति झगड़ा करने लगे। इस झगड़े को देखकर राज्य के सिपाहियों ने दोनों को गिरफ्तार कर लिया।
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