भोपाल । मप्र के लाखों नर्सिंग छात्र-छात्राओं की मांगों को लेकर एनएसयूआई नेता रवि परमार ने मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव को पत्र लिखा है। परमार ने कहा कि मध्यप्रदेश में नर्सिंग कॉलेज फर्जीवाड़े की वजह से लाखों छात्र छात्राओं का भविष्य प्रभावित हुआ हैं। लंबे समय के बाद माननीय उच्च न्यायालय के आदेश के बाद सभी नर्सिंग छात्र छात्राओं की परीक्षाएं हो रही हैं लेकिन पिछले 4 सालों से नर्सिंग के छात्र-छात्राओं को छात्रवृत्ति नहीं मिली ( सत्र 2019-20 से 22-23 तक के किसी भी नर्सिंग छात्र छात्राओं को छात्रवृत्ति नहीं मिली
परमार के मुताबिक अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग सभी वर्गों के छात्र-छात्राओं की छात्रवृत्ति रूकी हुई हैं। मध्य प्रदेश पिछड़ा वर्ग तथा अल्पसंख्यक कल्याण विभाग द्वारा तो 18 जुलाई 2024 को आदेश जारी कर मध्य प्रदेश के नर्सिंग छात्र छात्राओं की पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति पर अस्थायी रोक लगा दी गई है। जबकि माननीय उच्च न्यायालय द्वारा छात्र छात्राओं की छात्रवृत्ति रोकने के संबंध में किसी भी प्रकार का आदेश नहीं दिया गया है। रवि परमार ने सीएम को संबोधित पत्र में आगे लिखा कि माननीय उच्च न्यायालय के आदेश के बाद प्रदेश के सभी छात्र छात्राओं की परीक्षाएं हो रही हैं उनसे फीस ली जा रहीं हैं। छात्रवृत्ति पर रोक लगने की वजह से हजारों निम्न और मध्यम वर्गीय छात्र छात्राएं फीस जमा करने में असमर्थ हैं जिसकी वजह से उनकी पढ़ाई प्रभावित हो रहीं है। वहीं गरीब परिवार से आने वाले छात्र छात्राओं पर आर्थिक बोझ पड़ रहा हैं। परमार ने चिंता जताते हुए कहा कि फीस नहीं भरने की वजह से छात्र छात्राएं परीक्षा से भी वंचित रह सकते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार छात्रवृत्ति ना देकर गरीब परिवारों अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग वर्गों के बच्चों से पढ़ाई का अधिकार छीन रहीं है। परमार ने यह भी दावा किया कि स्टूडेंट्स के छात्रवृति के पैसे राज्य सरकार दूसरी योजनाओं के खर्च कर दे रही है। परमार ने सीएम मोहन यादव से मांग करते हुए कहा कि मध्यप्रदेश के नर्सिंग छात्र छात्राओं के भविष्य को ध्यान में रखते हुए जो विद्यार्थी परीक्षा के लिए पात्र हैं उनकी छात्रवृत्ति पर जो रोक लगाई गई हैं वो तत्काल हटाने मांग करते हुए नर्सिंग छात्र छात्राओं के साथ मुख्यमंत्री निवास का घेराव करने की चेतावनी भी दी।
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