भोपाल। एक तरफ केंद्र सरकार प्रधानमंत्री मातृ वंदना का दायरा बढ़ाने जा रही है ताकि गरीब के घर जन्मी लाड़ली अब बोझ नहीं होगी। दूसरी संतान यदि लडक़ी पैदा हुई तो सरकार प्रोत्साहन राशि देगी। लेकिन प्रदेश में स्थिति यह है कि दो साल से गर्भवती महिलाओं को तो 9 माह से कई लाड़ली बहनों को सहायता राशि नहीं मिली है। ऐसे में लोग कहने लगे हैं कि प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना दिखावा साबित हो रही है।
गौरतलब है कि कामकाजी महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान उनके उचित आराम और पोषण को सुनिश्चित करने के लिए प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना शुरू की गई है। केंद्र की इस योजना का क्रियान्वयन आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से किया जा रहा है, जिसके तहत गर्भवती महिलाओं के आवेदन भी भरवाए जाते हैं, लेकिन आवेदन के बावजूद महिलाएं योजना की किस्त के लिए परेशान हो रही हैं। आलम ये है कि महिलाओं द्वारा इसकी शिकायतें किए जाने के बावजूद उन्हें सहायता राशि नहीं मिल पा रही है। ऐसे ही लाड़ली बहनें भी प्रदेश सरकार की योजना का लाभ नहीं मिलने के चलते भटक रही हैं।
प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना की बदहाली का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अकेले भोपाल जिले में ही मातृ वंदना योजना की 1100 से अधिक शिकायतें दो साल से लंबित हैं। चौंकाने वाली बात ये है कि जिला परियोजना अधिकारी सुनील सोलंकी भी इन समस्याओं का समाधान कराने में कोई रुचि नहीं ले रहे है। यही कारण है कि लंबित शिकायतों की संख्या लगातार बढ़ रही है। आलम यह है कि ज्यादातर महिलाएं तो मातृ वंदना योजना की किस्त आने की आस तक छोड़ चुकी हैं।
पीएम मातृ वंदना योजना के तहत गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं को पहले जीवित बच्चे के जन्म के दौरान 5 हजार रुपए दिए जाते हैं। योजना की राशि डीबीटी के माध्यम से लाभार्थी के बैंक खाते में तीन किस्तों में भेजी जाती है। पहली किस्त में 1000 रुपए गर्भावस्था के पंजीकरण के समय मिलती है। दूसरी किस्त 2000 रुपए, यदि लाभार्थी छह महीने की गर्भावस्था के बाद कम से कम एक प्रसवपूर्व जांच करा लेती है। तीसरी किस्त 2000 रुपए, जब बच्चे का जन्म पंजीकृत हो जाता है और बच्चे को टीके का चक्र शुरू होता है। महिला एवं बाल विकास विभाग की संयुक्त संचालक नकीजहां कुरैशी का कहना है कि पूर्व में इसके पोर्टल में तकनीकी दिक्कत के चलते एंट्री नहीं हो पा रही है। हालांकि उक्त समस्या अब दूर हो चुकी है। जिन महिलाओं को योजना का लाभ नहीं मिला है, ऐसे आवेदनों को जिला स्तर पर चैक कराकर कमियों को दूर कराया जाता है। कई बार आधार-बैंक डीटेल अपडेट नहीं होने के चलते भी भुगतान नहीं हो पाता।
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