एनटीए में सुधार के लिए बनी समिति के अध्यक्ष डॉ. के राधाकृष्णन देश के जाने माने वैज्ञानिक हैं और मंगलयान की सफलता में उनकी अहम भूमिका है। डॉ. राधाकृष्णन के ही मार्गदर्शन में इसरो ने मंगलयान मिशन को प्रथम प्रयास में ही मंगल तक पहुंचाने का करिश्मा कर दिखाया, जो एक बड़ी उपलब्धि है। डॉ. जी माधवन नायर के रिटायरमेंट के बाद इसरो का अध्यक्ष पद संभाला।इसरो प्रमुख के रूप में उनकी पहली प्राथमिकता जीएसएलवी के लिए स्वदेशी क्रायोजेनिक इंजन को तैयार करना था। डॉ. राधाकृष्णन ने 1971 में विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वी एसएससी) से अपने करियर की शुरुआत की। उन्होंने सेटलाइट लॉन्च व्हीकल (एलएलवी) प्रोजेक्ट में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वे विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर के डायरेक्टर भी रहे हैं। डॉ. राधाकृष्णन 2009 से 2014 तक इसरो के अध्यक्ष रहे। उनके नेतृत्व में, भारत ने चंद्रयान-1 मिशन, मंगलयान (मार्स ऑर्बिटर मिशन) और जीसैट शृंखला के उपग्रहों का सफल प्रक्षेपण किया। उन्होंने भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया, जिसमें सेटलाइट संचार, रिमोट सेंसिंग और अंतरिक्ष विज्ञान शामिल हैं। डॉ. राधाकृष्णन को 2014 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। उनके नेतृत्व और वैज्ञानिक योगदान के लिए उन्हें कई अन्य राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिले हैं।
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